मामा जी ने मामी की गांड मारी-Uncle Fucked Aunty’s Ass

अन्तर्वासना का मजा मैंने तब लिया जब मैं मामा जी के घर रहने आई थी. रात को पानी पीने उठी तो मामी  के कमरे से आवाज सुन कर मैं उधर गयी.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तों,

मैं अन्तर्वासना की एक पुरानी और नियमित पाठिका हूँ.

आज मेरे मन में एक तीव्र इच्छा जागी कि क्यों न मैं भी अपनी कामुक यात्रा की मादक कहानी आपके साथ साझा करूँ, जो मेरे दिल की गहराइयों से निकलकर आपके सामने आए.

सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में थोड़ा बता देती हूँ ताकि आप मेरी इस लाइव सेक्स सीन की रसीली दुनिया में खो जाएं.

मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूँ.
मेरा नाम विनीता  है और मेरी उम्र अभी 32 वर्ष की है.

अब तो मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, जिसके जिस्म में आग और नज़रों में मादकता भरी है.

लेकिन यह कहानी उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ने शहर में रहने वाली अपनी मामी  के घर गई थी.

मेरा फिगर फिलहाल 30-32-34 है, एकदम गोरा रंग और काले घने बाल जो किसी की भी सांसें थाम लेने का दम रखते हैं.
मेरी हर अदा, हर कर्व पुरुषों के दिलों में हलचल मचाने के लिए काफी है.

ये antarvasna sexy story एकदम सच्ची है और मेरे सेक्स जीवन की शुरुआत का वह पहला कामुक पन्ना है जो आज भी मेरे जिस्म में सिहरन पैदा करता है.

बात उन दिनों की है जब मैंने 10वीं पास की थी.
मेरे सपनों को पंख लगाने के लिए मुझे गांव से शहर की ओर रुख करना पड़ा.

शहर का नाम सुनते ही मेरे पिता जी के चेहरे पर टेंशन की लकीरें उभर आईं.
आज के दौर को देखते हुए वे मुझे अकेले भेजने को तैयार नहीं थे.

लेकिन माता जी ने उनकी हिचक को प्यार से दूर किया.
उन्होंने पिता जी  से मेरी मामी  का हवाला देते हुए कहा कि मेरी छोटी बहन उसी शहर में ही रहती है. आप विनीता को उसके घर छोड़ दें, तो सब ठीक रहेगा.

माता जी की बात सुनते ही पिता जी  इस बात पर राजी हो गए और शाम को मामा जी से बात करने का कहकर खेत की ओर निकल गए.

शाम को जब पिता जी  लौटे, हम सबने साथ में खाना खाया और टीवी देखने बैठ गए.

फिर मैंने मम्मी से कहा कि पिता जी  को मामा जी से बात करने को कहें.

मम्मी ने पिता जी  का मोबाइल लिया और मामी को कॉल किया.
बातों-बातों में जब मामी  को पता चला कि मैं उनके यहां रहने आ रही हूँ, तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा.

मामी  की तरफ से खुशी जाहिर करने के बाद पिता जी  के मन में रही सही आशंका भी समाप्त हो गई थी और वे अब संतुष्ट लग रहे थे.

उन्होंने मुझसे कहा- बेटा, अपने कपड़े किताबें आदि पैक कर लो.

कुछ दिनों बाद मुझे शहर जाना था.
मैंने अपने लिए कपड़े तैयार किए.

गांव में लड़कियां ज्यादातर सलवार-सूट ही पहनती हैं, तो मैंने भी कुछ टाइट और आकर्षक सलवार-सूट सिलवाए जो मेरे जिस्म की हर नाज़ुक अदाओं को उभारता थे.

जिस दिन मुझे जाना था, पिता जी  मुझे लेकर सुबह की बस से निकल पड़े क्योंकि उन्हें शाम तक वापस भी आना था.

हम सुबह 12 बजे शहर पहुंचे.
बस से उतरते ही मामा जी हमें अपनी कार में लेने आए.

उनकी नजरें मेरे ऊपर ठहर सी गयी और फिर हम कार में बैठकर उनके घर पहुंच गए.

वहां मामी  दरवाज़े पर हमारा इंतज़ार कर रही थीं, उनकी मुस्कान में एक अजीब सा मोहक अंदाज था.

मामी  के परिवार में मामा-मामी  और उनके दो बच्चे हैं.
बेटी का नाम प्रियंका और बेटा का सचिन.

मामी  का नाम मीनाक्षी है, वे मम्मी से 3 साल छोटी हैं.
उनका फिगर 32-36-34 का है और उनका गोरा रंग ऐसा कि किसी भी मर्द के जिस्म में आग लगा दे.
उनके काले बाल और भरी हुई छाती हर किसी को अपनी ओर खींच लाता है.

मामा जी का नाम प्रदीप है.
वे भी कम नहीं हैं, एकदम हैंडसम, लंबे-चौड़े और मार्केटिंग के काम से अक्सर बाहर रहते हैं.
उनकी आंखों में एक चमक थी, जो कुछ कहती थी.

मामा जी ने हमारा सामान अन्दर रखा और हम सब बातों में मशगूल हो गए.

बात करते-करते खाना खाया और पता ही न चला कि कब 5 बज गए.
फिर मामा जी पिता जी को स्टैंड छोड़ने गए और मैं, मामी  व उनके बच्चों के साथ बातें करती रही.

मामी ने कहा कि मेरा सामान प्रियंका और सचिन के कमरे में रख दूं.

हम तीनों भाई-बहनों ने मिलकर सामान सेट किया.
उस कमरे में एक डबल बेड था और हमें तीनों को उसी पर सोना था.

रात को खाना खाकर हम बातें करने लगे.
मामा जी बोले कि कल मेरा कॉलेज में एडमिशन करवा देंगे.

फिर हम तीनों अपने कमरे में सोने चले गए.
कमरा ऊपर था, हवा में एक अजीब सी गर्मी थी.

मैं बेड के एक कोने पर लेट गई, प्रियंका बीच में और सचिन दूसरी तरफ.

पहली रात थी, नींद देर से आई और मेरा मन कुछ बेचैन सा रहा.

सुबह जल्दी उठकर मैं नहाने चली गई.
गर्म पानी मेरे जिस्म पर गिरा तो एक अजीब सी सिहरन हुई.

नीचे आकर मैंने मामी  की रसोई में मदद की.
फिर मामा जी मुझे कार में कॉलेज ले गए.

उनकी नज़रें बार-बार मुझ पर ठहर रही थीं. उनकी नजरों से मुझे असहजता सी महसूस हो रही थी.

कॉलेज में एडमिशन के बाद हम दोनों एक साथ घर लौटे, खाना खाया और मामा जी अपने काम पर निकल गए.

कुछ दिन सब सामान्य रहा.
कॉलेज में मेरी सहेलियां बन गईं और मैं शहर की ज़िंदगी में मिलने लगी.

फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ कि मेरी दुनिया बदल गई.

उस रात मेरी नींद खुल गई और वापस सोने का मन ही न हुआ.
मैंने सोचा कि किचन में जाकर कुछ खा लूँ.

सीढ़ियां उतरते हुए मैंने देखा कि मामी  के कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाजा हल्का सा खुला था.

उत्सुकता ने मुझे खींचा और मैंने झांक कर देखा.
जो नज़ारा सामने था, उसने मेरे होश उड़ा दिए.

मामी  और मामा जी दोनों नंगे थे, उनके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं.
मामी की गोरी चमकती त्वचा और मामा जी का मर्दाना शरीर एक-दूसरे से लिपटे हुए थे.

वे दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे, मामा जी मामी  की भरी हुई छातियों को मसल रहे थे और मामी  उनकी मर्दानगी को अपने नाजुक हाथों से सहला रही थीं.

मामा जी का लंड करीब 8 इंच का, मोटा और सख्त, ऐसा कि देखते ही जिस्म में आग लग जाए.

कुछ देर चूमने के बाद मामा जी ने अपने लौड़े को मामी  के मुँह में डाल दिया.

मामी  लंड चूसने लगीं, उनकी आंखों में वासना नाच रही थी.

मामा जी उनकी चूत में उंगलियां डालकर उन्हें और गर्म कर रहे थे, साथ ही उनके मुँह को अपने लंड से चोद रहे थे.

वह इतना कामुक था कि मेरे पैर कांपने लगे और मेरे जिस्म में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी.
कुछ देर इस हरकत को अंजाम देने के बाद मामा जी ने मामी  को पीठ के बल लिटा दिया और उनकी रसीली टांगों को अपने मजबूत कंधों पर चढ़ा लिया.

फिर उन्होंने अपने तन नाते और लौह दंड से खड़े लंड को मामी  की नर्म चूत पर धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया जिससे मामी  की सिसकारियां छूटने लगीं.

फिर अचानक से एक जोरदार झटके के साथ मामा जी ने अपना लंड मामी  की चूत की गहराई में उतार दिया.

मामी  के कंठ से एक मीठी सी आह निकली- आह मादरचोद … धीरे चोद न!
मामा जी- साली रंडी, लंड खाने में रोज ड्रामा करती है!

वे दोनों गालियों से अपनी चुदाई को आगे बढ़ाने लगे थे.
जैसे-जैसे मामा जी जी के धक्कों की रफ्तार बढ़ती गई, मामी  के मुँह से ‘आआ हह … आआ ह्ह्ह’ की मादक आवाजें कमरे में गूंजने लगीं.

मामी  के रसभरे गोल-मटोल बड़े बड़े दूध मामा  जी के हर झटके के साथ लय में उछल रहे थे, मानो कोई ब्लूफिल्म का कामुक नजारा सामने लाइव चल रहा हो.

काफी देर तक उन दोनों का ये कामुक खेल चलता रहा.
वे दोनों एक दूसरे से मानो हारना ही नहीं चाहते थे.

पूरे कमरे में ‘ऊऊऊ … आह.’ की सिसकारियां गूंजती रहीं.
उन दोनों की कामुक आवाजें मेरे दिल की धड़कनों को और तेज कर रही थीं.

इधर मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरे जिस्म में एक अजीब-सी गर्मी दौड़ रही थी.

फिर कुछ देर बाद मामा जी ने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मामी  के रसीले होंठों के बीच ले जाकर उनके मुँह में डाल दिया.
मामी  ने लौड़े को हाथ से पकड़ कर मुँह में जोर-जोर से लेते हुए अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मामी  की हरकत से मामा जी ‘आह्ह’ की सिसकारी भरते हुए आनन्द में डूब गए.

आखिरकार उन्होंने अपने लंड से गर्म पिचकारी मामी  के मुँह में छोड़ दी.
जिसे मामी ने बड़े चाव से स्वीकार कर लिया.

वे मामा जी के लौड़े से निकली वीर्य की हर बूंद को चूसती रहीं और गटकती गईं.
उनके मुँह पर आने वाले भाव यह साफ बता रहे थे कि मामी जी को लंड से निकली रबड़ी खाना कितनी ज्यादा पसंद थी.

ये सब तमाशा खत्म होने के बाद दोनों नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे, उनके जिस्म पसीने से तरबतर थे और सांसें तेज थी.

लाइव सेक्स सीन का मजा लेने के बाद मैं चुपचाप वहां से अपने कमरे में लौट आई.
लेकिन मेरा मन और तन दोनों बेकाबू हो चुके थे.

नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी.

मैंने अपनी चुत को अपनी दो उंगलियों से सहलाना शुरू कर दिया.
मेरी चुत के इर्द गिर्द नर्म मुलायम रेशमी झांटों का जंगल है.

आज मुझे अपनी चुत पर झांटों की मौजूदगी खल रही थी और मैंने पक्का कर लिया था कि कल चुत की दीवाली मनाऊंगी; झांटों की सफाई कर ही लूँगी.

कुछ देर बाद मेरी एक उंगली चुत के अन्दर घुस गई और उसी वक्त मुझे कामिनी मामी की गाली याद आ गई.
‘आह मादरचोद धीरे चोद न!’

वह गाली इतनी ज्यादा उत्तेजक लगी कि उसी वक्त उंगली चुत की गहराई में सरकती चली गई.

एक मीठी सी आह निकल गई और मैंने मामा जी की गाली को याद कर लिया.
‘साली रंडी, लंड खाने में रोज ड्रामा करती है!’

उसी वक्त मेरी चुत ने रस छोड़ दिया क्योंकि काफी देर से चुत रस से भरी हुई थी.

उसे बाहर निकालने वाली मामा जी की गाली ‘साली रंडी …’ ने सटीक काम कर दिया था.

चुत से रस झड़ जाने के बाद मैं शिथिल हो गई.
फिर काफी देर तक करवटें बदलने के बाद आखिरकार मैं सो गई.

सुबह उठी तो सब कुछ सामान्य सा लग रहा था.
लेकिन मेरा दिमाग उस रात के नशीले मंजर में उलझा हुआ था.

मैंने ठान लिया कि अब हर रात उनकी इस चुदाई का लाइव नजारा देखूंगी.

इसके लिए मैं सचिन और प्रियंका के सोने तक पढ़ाई का बहाना बनाकर जागती रहती थी.

उनके सो जाने के बाद मैं धीरे-धीरे, दबे पांव नीचे जाती.
अगर कमरे की लाइट जल रही होती, तो समझ जाती कि उनका कामुक खेल शुरू हो चुका है.

अब ये मेरा रोज का शौक बन गया था.
मैं उनकी चुदाई को चुपके से देखती, अपने जिस्म में उठती गर्मी को महसूस करती और फिर कमरे में लौटकर सो जाती.

मेरे अपने सेक्स जीवन की शुरुआत कैसे हुई, वह मैं अपनी अगली कहानी में बताऊंगी.

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ये पहली आंखों देखी चूत चुदाई की कहानी?
मुझे लाइव सेक्स सीन पर अपनी राय जरूर मेल करें कमेंट करें और हमारी वेबसाइट www.antarvasnakatha.com पर डेली विजिट करें आनंद लें ! 

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