सेक्स  से मजबूर पति पत्नी भाग 3-Husband Wife Forced Into Sex Part 3

इस कहानी में मालकिन की मृत्यु के बाद  मालिक सेक्स की सेवा की. दोनों एक दूसरे को पसंद करते थे पर मेड डरती थी. एक दिन मालिक ने उससे शादी की बात की.

कहानी के पहले भाग – सेक्स से मजबूर पति पत्नी भाग 1
में आपने पढ़ा कि घरेलू नौकरानी को अपनी मालकिन और मालिक की पूरी सेक्स मस्ती का पता था. एक रात उसने दोनों की चुदाई का पूरा नजारा देखा.

लेकिन कोविड में मालिक साहिल  और मालकिन बीमार हो गए.
मालकिन तमन्ना  चल बसी.

उसके बाद साहिल  का सारा कार्य कंचन  ही करती.
धीरे धीरे उसकी सेवा से साहिल  पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गये.

अब आगे antarvasna sexy story  वाइफ कहानी:

यह एक सेक्स स्टोरी है 

कंचन  को आस पड़ोस की औरतें टोकने लगीं- अकेली एक पराये मर्द की सेवा कैसे करोगी, नौकरी छोड़ दो.
कंचन  उनसे कहती- मैं कोई नौकरी थोड़े ही करती हूँ.  कंचन सेक्स वगेरा से थोड़ी पीछे हटती थी

“पर फिर क्या करती हो?”
इसका जवाब कंचन  के पास भी नहीं था.

इसी तरह  आठ महीने बीत गए तमन्ना  को गए.

अब साहिल  शारीरिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ था.
पर उसका मन हर समय सेक्स का रहता.

एक रात खाना खिलाने के बाद साहिल सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था. तभी उसे तमन्ना की सेक्स करती हुई याद आ गयी.
कंचन  ने उससे धीरे से कहा- पड़ोस की औरतें ऐसे कहती हैं. तो क्या मुझे कहीं और काम ढूंढ लेना चाहिए?

साहिल  एकदम से चौंक गया.
उसने कंचन  को अपने पास बुलाया.

कंचन  कभी उसके सामने सोफे पर नहीं बैठती थी.
तमन्ना तो हमेशा उसे अपने पास ही बिठाती थीं.
पर साहिल  से कंचन  ने दूरी बनाई हुई थी शुरू से.

साहिल  ने कंचन  को अपने पास बुलाया.
वह पास आकर खड़ी हो गयी.
साहिल  ने कहा- बैठो.
वह खड़ी रही.

साहिल  ने दोबारा प्यार से कहा- बैठो!
तो दूसरे सोफे पर कंचन  बैठ गयी.

साहिल  ने उससे पूछा- तुम्हें कोई दिक्कत है यहाँ?
कंचन  ने ना में सर हिलाया.

साहिल  ने फिर पूछा- क्या तमन्ना  ने तुम्हें अपनी सहेली जैसा ही माना या नौकरानी?
कंचन  रो पड़ी, बोली- दीदी ने तो मुझे सहेली जैसा ही माना.

साहिल  फिर बोला- तुमको क्या लगता है कि मुझे इस हाल में छोड़ कर तुम्हें जाना चाहिए?
कंचन  फफक कर रो पड़ी और साहिल  के घुटनों के पास आकर बैठ कर रोने लगी और बोली- मैंने दीदी से वायदा किया है कि आपका ध्यान रखूंगी.

साहिल  ने पूछा- तो फिर?
कंचन  रोते रोते बोली- इस जमाने को कौन समझाए.

साहिल  बोला- मुझे जमाने की परवाह नहीं है. तुम मेरा और घर का ध्यान रखो बस!

कहकर साहिल  ने कंचन  को उठाया और नजदीक लाते हुए उसके सर पर स्नेह से हाथ फेरा.

पता नहीं कंचन  को क्या हुआ, वह साहिल  से लिपट गयी.
हिंदी सेक्स स्टोरी  के ख्याल में साहिल  ने भी उसे अपनी बाँहों में थाम लिया.

अब साहिल  की बांहों में एक महिला का जिस्म था जिसे आज तक उसने उसे सेक्स करते देखा ही नहीं था.
पर आज पहली बार उसे कंचन  के मांसल मम्मों का दबाव अपनी छाती पर महसूस हो रहा था. और सेक्स की अनुभूति हो रही थी.

कंचन  की गर्म साँसें उसकी गर्दन पर पड़ रही थीं.
उसने कंचन  को और कस के भींच लिया.

कंचन  को अब अहसास हुआ कि अब इस साहिल  के अंदर सेक्स वाला मर्द जाग रहा है.
उसे यह एहसास साहिल  के पजामे के अंदर उठते तनाव से महसूस हुआ.

कंचन के मन में कोई सेक्स के प्रति भाव नहीं था … पर पता नहीं क्यों वह भी साहिल  की गिरफ्त से छूटना नहीं चाह रही थी.

पर जब साहिल  ने उसके गालों को अपने हाथों में लेकर उसे चुप करना चाहा तो कंचन  झटके से अलग हुई और अपने हाथों से अपने आंसू पोंछती हुई अपने कमरे की ओर चल दी.

साहिल  ने उसे रोका, फिर उसके कंधे पर आहिस्ता से हाथ रख कर उसे अपनी ओर घुमाया.

अब साहिल  बोला- आज से दस साल पहले अगर मम्मी ने तुम्हें नहीं सहारा दिया होता तो तुम्हारी जिन्दगी ख़त्म सी ही थी. और इन छह महीनों में अगर तुमने मुझे और घर को नहीं संभाला होता तो मेरा बचना नामुमकिन था. 

मेरा अब तुम्हारे अलावा कौन है जो ध्यान रख सके. तुम इस घर को अपना मानते हुए अधिकारी से रहो. पर हाँ, जैसा तमन्ना  चाहती थी, आज से तुम उसी तरह साफ़ सुथरी होकर रहना. जमाने की मुझे कोई परवाह नहीं है. अब जाओ और फ्रेश होकर कपड़े बदलकर आओ और आकर अपने और मेरे लिए कॉफ़ी बनाना.

कंचन  थोड़ी देर तो सन्न खड़ी रही.

साहिल  ने फिर गंभीर होकर कहा- मेरा तुम्हारे ऊपर कोई अधिकार नहीं है. अगर तुम अपने को मेरे घर पर सुरक्षित महसूस करती हो तो तुम स्वतंत्र हो कहीं भी, कभी भी जाने के लिए!
कह कर साहिल  घूम कर अपने कमरे में जाने लगा.

अब कंचन  उसके दौड़ कर रोती हुई उसके पैरों में लिपट गई, बोली- मैं कहाँ जाऊंगी. मेरी जिन्दगी तो मम्मी  ज़ी और बाद में दीदी के पास अमानत है. मेरी वजह से आपकी बदनामी न हो, बस उससे डरती हूँ.

साहिल  ने उसे उठाया और गले लगा लिया, बोला- बस तुम मेरा ख्याल रखो, जमाने से मैं निपट लूंगा.

और अबकी बार साहिल  ने कंचन  के आंसू से भरे गालों को चूम लिया.
कंचन  एक सूखी बेल की तरह लिपट गयी साहिल  से और ताबड़ तोड़ उसे चूमने लगी.

साहिल  ने उसे शांत किया और कहा- जाओ और जैसे तमन्ना सेक्स के लिए रात को अच्छे से तैयार होती थी, वैसे ही तैयार होकर आओ और कॉफ़ी बनाओ.

अब कंचन  के चेहरे पर मुस्कान आ गयी.
वह शरारत से बोली- आप दीदी को तैयार होना तो दूर, कपड़े ही कहाँ पहनने देते थे?
कह कर वह भाग गयी अपने कमरे में!

थोड़ी देर में कंचन  एक ट्रे में कॉफ़ी लेकर आई.
उसने मुंह धोकर कपड़े बदल लिए थे. पर एक साफ़ सुथरा सूट डाला हुआ था. चेहरे पर मुस्कान थी और होंठों पर हल्की सी लिपस्टिक.

साहिल  उसे देख कर मुस्कुराए, बोले- तुम्हारी कॉफ़ी कहाँ है?
कंचन  बोली- आप लीजिये, मेरा मन नहीं था.

साहिल  ने कंचन  का हाथ पकड़ कर बगल में बिठा लिया.
फिर वो उसका हाथ पकड़े पकड़े उसकी आँखों में आँखें डाल कर बोले- साथ दोगी मेरा?
कंचन  चुप रही, बस पैर के अंगूठे से जमीन कुरेदती रही.

साहिल  ने फिर कहा- तमन्ना  के बाद मैं बहुत अकेला हो गया हूँ. जीने की कोई इच्छा नहीं है. क्या करूं समझ में नहीं आता. कई बार तो मन में आता है कि आत्महत्या कर लूं!
कंचन  ने झटके से सिर उठाया और अपने हाथों से साहिल  का मुंह बंद कर दिया और एक बार फिर लिपट गयी उससे!

वह रुआंसी होकर बोली- मेरे ऊपर आपका पूरा अधिकार है. मैं आपकी कोई बात नहीं टाल सकती. पर मैं दीदी की जगह नहीं ले सकती.
साहिल  बोला- दीदी की जगह तो कोई भी नहीं ले सकता. पर जाते-जाते उसके आखिरी शब्द यही थे कि मैं उसकी याद में रोऊँ नहीं. अब तुम ही बताओ मैं कैसे न रोऊँ. अब जीऊँ तो किसके सहारे. इसलिए अभी मन में यह ख्याल आया है कि क्यों न हम एक दूसरे के सहारे बन जाएँ.

कंचन  शांत थी.
साहिल  चुपचाप कॉफ़ी पीते रहे.

बाद में कंचन  कप उठाकर ले गयी.
साहिल  धीरे धीरे क़दमों से अपने रूम में चला गया.

अब साहिल  नीचे ही शिफ्ट हो गया था.
कंचन  किचन में कुछ उठापटक कर रही रही.

रात के 11 बज गए थे.
साहिल  ने अपने कमरे की लाइट बंद कर ली और लेट गया.

कंचन  को अचानक ध्यान आया कि साहिल  के कमरे में पानी तो रखा ही नहीं है.

कमरे की लाइट बंद थी.
कंचन  दबे पाँव पानी का जग साहिल  के कमरे में रख कर लौट ही रही थी कि साहिल  ने उसका हाथ पकड़ लिया.
कोई सेक्स जबरदस्ती का माहौल नहीं था.

कंचन  भी हाथ छुड़ाना नहीं चाह रही थी.
साहिल  ने उसे अपनी ओर खींचा तो कंचन  सीधी उसकी गोद में जा गिरी.

अब कंचन  खुद बखुद साहिल  से लिपट गयी.
फिर बुदबुदाती हुई बोली- हम ये गलत कर रहे हैं.

साहिल  ने उसके होंठों पर अपने होंठ भिड़ाते हुए कहा- हम एक दूजे की सेक्स की जरूरत पूरी कर रहे हैं.
कंचन  एक दो पल तो ठहरी फिर वो भी साहिल  का चूमाचाटी में साथ देने लगी.
साहिल  ने उसे कस के भींच लिया.

दोनों एक बेड पर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए.

कंचन  ने साहिल  की आँखों में झांकते हुए कहा- ज़माना तो इसे नाजायज ही कहेगा न!

साहिल  ने उसको अपनी से चिपटाया और कहा- ज़माना कुछ भी कहे … पर आज तुम्हें राज़ की बात बताता हूँ. जाने से एक दिन पहले तमन्ना  ने मुझसे यह वादा किया था कि अगर उसे कुछ हो गया तो मैं तुम्हें उसकी जगह दूंगा ! 

और स्वीकार करूंगा. मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं हो पा रहा था. पर तुम्हारे बिना जीवन यापन सोच भी नहीं पा रहा था. इसलिए आज ये निर्णय लिया. तमन्ना  जहाँ कहीं भी होगी हमारे मिलन को उसकी स्वीकारोक्ति होगी.

 कल ही मैं कोर्ट मैरिज करके वैधानिक रूप से तुम्हें अपनी पत्नी बनाऊंगा. जमाने को जो कहना है कहता रहे.

कहकर साहिल  खड़ा हो गया.
उसने तमन्ना  की अलमारी खोली और उसकी एक सितारों वाली लाल साड़ी और ब्लाउज कंचन  को दिया और कहा- आज से ये सब तुम्हारा है. दुल्हन की तरह तैयार हो जाओ. हम अभी शादी करेंगे.

कंचन  हतप्रभ थी.
उसकी समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.
पर वह इतना जानती थी कि कहीं दूर से तमन्ना  ही ये सब करवा रही है.

साहिल  ने अपने लिए एक कुर्ता पाजामा निकाला और वो दूसरे कमरे में चला गया.

कंचन  कुछ पल तो यूं ही खड़ी रही फिर जब साहिल  की आवाज आई जल्दी करने के लिए तो बाथरूम में घुसी.
आधा घंटे बाद जब कंचन  तैयार होकर बाहर आई तो उसे देख कर साहिल  भी सकते में आ गए.

एक अछूत सौंदर्य उसके सामने था.
बहुत हल्के मेकअप में भी कंचन  का सौंदर्य दमक रहा था.

साहिल  उसे लेकर घर में बने मंदिर में ले गया.
जहां रोली से कंचन  की मांग में सिंदूर भर दिया.

पत्नी बनकर कंचन  रो पड़ी.
उसने झुककर साहिल  के पैर छू लिए. साहिल  ने उसे उठाया और गले लगाया. अब दोनों पति पत्नी के रूप में आपस में लिपटे खड़े थे.

साहिल  कंचन  का हाथ थाम कर रूम में आया और बोला- मुंह दिखाई में मैं कोई पुराना जेवर नहीं देना चाहता. मुंह दिखाई की रस्म का जेवर कल दूँगा.
कंचन  धीमे से बोली- आपने जो कुछ मुझे दे दिया, इसका एहसास तो मैं सात जन्म में भी चुका पाऊँगी. अब मुझे कुछ नहीं चाहिए.

दोनों बेड पर आ गए.
रात गहरा चुकी थी.

थोड़ी देर तक बाकी जिन्दगी के लिए कसमें वादे होने के बाद साहिल  ने बहुत संकोच से कंचन  से कहा- रात ज्यादा हो गयी है. तुम कपड़े बदल लो, फिर सोते हैं.

कंचन  उठी, उसने कमरे की लाइट बंद कर दी और अपनी गले की ज्वेलरी उतार बेड पर आ गयी और साहिल  से लिपटकर बोली- आज रात सोना नहीं है, आज हमारी सुहागरात है.

अब जो कुछ सुहागरात पर धमाल होता है, उस सब की उम्र तो नहीं थी, पर दोनों के मन में एक अटूट ख़ुशी थी उस खालीपन को भरने की.

साहिल  ने शुरुआत की कंचन  के और अपने कपड़े उतारने की.
कंचन  का हाथ साहिल  के लंड से जा टकराया.

यूं तो इन छह महीनों में जब साहिल  भी मरणासन्न था, कंचन  ने कितनी ही बार उसके पूरे कपड़े बदले थे.
पर तब मन में कोई भावना नहीं थी.

आज कंचन  को छड़ बने लंड के स्पर्श मात्र से ही रोमांच हो गया.
कंचन  के मम्मे तमन्ना  की तरह भारी तो शायद नहीं थी पर कसाव पूरा था.

अब कपड़ों से दोनों पूरी तरह आजाद हो गए थे.
साहिल  ने कंचन  को चूड़ियाँ और पाजेब नहीं उतारने दी.

अब साहिल  ने लिपटा लिया कंचन  को अपने से!

दो नंगे जिस्म जब लिपटे तो आग भड़कना स्वाभाविक था.
दोनों के होंठ भिड़ गए.

कंचन  की जीभ साहिल  की जीभ में समा जाना चाहती थी.
साहिल  का लंड कंचन  के हाथ में था, जिसे वो मसल रही थी.

कंचन  के मम्मे साहिल  के हाथों की गिरफ्त में थे.

अब साहिल  ने कंचन  से लेटने को कहा और उसकी टांगें चौड़ायीं.
कंचन  समझ गयी कि साहिल  उसकी चूत चाटना चाहता है.
उसे मालूम था कि तमन्ना  तो हर समय अपनी चूत चिकनी रखती थी तो इसलिए कंचन  ने अभी नहाते समय वैक्सिंग कर ली थी और अच्छा बॉडी स्प्रे कर लिया था.

कंचन  की चूत में जीभ लगाते ही साहिल  को तमन्ना  की याद ताज़ा हो गयी.
पर अब तो तमन्ना  नहीं … कंचन  थी उसके बेड पर.

कंचन  कहीं से भी किसी से हल्की साबित नहीं हो रही थी.
साहिल  ने अपनी जीभ घुसा दी कंचन  की चूत में!
उसके नथुनों में मीठी मीठी महक घुस गयी.

साहिल  ने उसकी टांगें और चौड़ायीं और जीभ पूरी गहराई तक उतार दी.
कंचन  ने उसके बाल पकड़ लिए और अपनी टांगें और खोल दीं और बाल पकड़ कर साहिल  का सर और अंदर कर लिया.
वह कांप रही थी.
उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा शारीरिक सुख दोनों ने सोचा भी नहीं था.

कंचन  की पाजेब के घुंघरू और चूड़ियाँ उनके मिलन की गवाह थीं.

साहिल  से अब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह सीधा कंचन  के ऊपर चढ़ गया और उसके मम्मे दबाता हुआ अपना लंड पूरा झटके से पेल दिया कंचन  की चूत में!

कंचन  की चूत में कसाव था और किसी मर्द का लंड अंदर लिए बहुत ज़माना हो गया था तो कंचन  की चीख निकल गयी.
उसने साहिल  को कस के पकड़ लिया.
उसके हल्के बढ़े नाख़ून साहिल  की पीठ पर गड़ गए थे.

अब साहिल  की धकापेल शुरू हो गयी.
कंचन  की आहें पूरे कमरे में गूंज रही थीं.

उसकी चूत पानी बहा चुकी थी तो साहिल  का लंड भी फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर जा रहा था.

साहिल  नीचे झुकता तो कंचन  भी जितना हो सकता सर उठाती.
दोनों के होंठ मिलते.

अब कंचन  ने साहिल  से कहा- लाइए, आज दीदी की कमी पूरी करती हूँ.
कहकर उसने साहिल  को नीचे किया और चढ़ गयी उसके ऊपर … और अपने हाथों से साहिल  का लंड अपनी चूत के मुंहाने पर सेट किया और लगी उछलने!

साहिल  हैरत में था की कंचन  को ये सब कैसे मालूम?
फिर उसे ध्यान आया कि तमन्ना  कंचन  से कुछ छुपाते नहीं थी.

साहिल  कंचन  के मम्मे मसल रहा था और कंचन  उसकी छाती पर हाथ टिका कर उछल कूद मचा रही थी.

उसकी चूड़ियों की खनखनाहट और घुंघरुओं की आवाज उनकी चुदाई के साथ संगत करती लग रही थी.

अब साहिल  का भी होने को था.
उन्होंने कंचन  को नीचे किया और फाइनल राउंड की चुदाई शुरू की.

दोनों हांफ रहे थे पर रुकने को कोई तैयार नहीं था.
साहिल  ने आखिरी दम मारते हुए पेल लगायी और कंचन  से पूछा- कहां निकालूं?

कंचन  ने उसे कस के पकड़ लिया और कहा- अंदर ही निकालो.
साहिल  ने एक झटका मारा और कंचन  की चूत अपने माल से भर दिया और एक और लुढ़क गया.

कंचन  ने मुस्कुरा कर उसकी ओर करवट ली और चूमते हुए कहा- आज आपने मुझे वो सुख दिया है जिसे कुदरत ने मुझसे छीन लिया था.
साहिल  ने पूछा- अंदर क्यों निकलवाया? अब इस उम्र में बच्चे …
कंचन  हँसती हुई बोली- नहीं, अभी मैं सेफ थी. बच्चों का तो प्रश्न ही नहीं उठता. आपको कोई परमानेंट इंतजाम करना होगा.

दोनों ऐसे ही एक दूसरे की बाँहों में सो गए.

अगले दिन सुबह ही साहिल  ने करण  से अमेरिका बात की और बताया कि वे कंचन  से शादी कर रहे हैं.
करण  बहुत खुश हुआ.
उसने कहा- पापा, आज अपनी मम्मी की इच्छा पूरी की है. कंचन  आंटी मम्मी को भी बहुत पसंद थी और इन दिनों में सिर्फ उन्हीं की वजह से आप ठीक हो पाए हैं. अब आप लोग अमेरिका आइये.

उसके बाद साहिल  ने तमन्ना  के भाई जो इसी शहर में रहते थे, उन्हें बताया और उन्हें कोर्ट में बुलाया.
दो चार दोस्तों की मौजूदगी में साहिल  और कंचन  की मैरिज रजिस्ट्री हो गयी.
दोनों अब कानूनी रूप से पति पत्नी थे.

मोहल्ले की एक दो औरतों ने कुछ कटाक्ष करना चाहा तो साहिल  ने ऊँची आवाज़ में कह दिया- हमारे घर के मामले में किसी को दखलंदाजी की जरूरत नहीं है.

कंचन  ने साहिल  से कहा- अब आप कल से दोबारा दुकान जायेंगे. पहले हम वहां पूजा करेंगे, फिर कारोबार शुरू करेंगे.
साहिल  ने ख़ुशी ख़ुशी अपनी सहमति दे दी.

तब साहिल  ने कंचन  से कहा- इस घर के कायदे कानून तुम्हें मालूम ही हैं. मैं कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करूंगा.
कंचन  सहम गयी और धीरे से बोली- मैं समझी नहीं?

साहिल  हंस पड़ा और बोला- घर के अंदर कोई कपड़ा नहीं!
कंचन  शर्मा गयी और धत्त कहती हुई किचन में चली गयी.

साहिल  बाजार की कहकर निकले कि कल से दूकान पर बैठना है तो नौकर को कहना पड़ेगा और पूजा के लिए पण्डित ज़ी से भी कहना पड़ेगा.

गेट खोलते खोलते साहिल  रुके और कंचन  को बुलाया- एक काम जो तमन्ना  मुझे दुकान भेजने से पहले करती थीं, वो अब तुम्हें करना होगा.
कंचन  नजदीक आई और उचक कर साहिल  को होंठों पर चूम लिया.
साहिल  मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हें कैसे मालूम?

हंसती हुई कंचन  बोली- दीदी चुम्मी इतनी जोर से लेती थीं कि आवाज नीचे तक आती थी.

साहिल  ने कंचन  को बाँहों में भरते हुए कहा- तमन्ना  के कपड़ों की अलमारी पिछले छह महीने से कल ही खुली थी. अब वो सब तुम्हारा है. एक बार उसे संभाल लेना.
कंचन  बोली- हाँ मैं समझ गयी कि रात को क्या पहनना है. ये मुझे अलमारी की नीचे की दराज़ में मिलेगा.

यह फिर साहिल  के लिए आश्चर्य की बात थी.
अब कंचन  खोजती हुई बोली- अलमारी मैं ही तो लगाया थी दीदी की! उन्हें तो खुद नहीं मालूम रहता था कि कहां क्या रखा है. पर हाँ, एक चीज़ मैं आपको भी नहीं इस्तेमाल करने दूँगी.
साहिल  बोले- क्या?
कंचन  हँसती हुई बोली- वाइब्रेटर! जब ज़िंदा है तो रबड़ का क्या करना?

इससे पहले साहिल  कुछ कहता, कंचन  ने उसे प्यार से बाहर जाने का रास्ता दिखाया.

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